पक्षी
पक्षी
खग, विहग, पक्षी, नभचर,
नाम मेरे अनेक है।
दाना चुगना, पानी पीना,
काम मेरे अनेक है।।
आजादी का गुणगान मै करती,
ताल सरोवर पार मै करती।
गगन चुम्ब कर मै आ जाती,
शाम होते मै छुप जाती।।
सुग्गा, कौवा, तोता, मैना,
रूप मेरे अनेक है।
नीला, पीला, हरा, गुलाबी,
रन्ग मेरे ढेर है।।
अनेक ढंग से मै लुभाती,
नयी सृष्टि मै बनाती।
मेरा भी एक पोता है,
नाम उसका तोता है।।
