STORYMIRROR

Mayank Kumar

Abstract Inspirational Children

4  

Mayank Kumar

Abstract Inspirational Children

नन्ही-सी जान__

नन्ही-सी जान__

1 min
249

बच्चे होते भगवान के रूप,

नही समाते इनमे झूठ।

पढाई-लिखाई, खेल-कूद,

इसके अलावा आता न कुछ।।


लोभ-लालच से दूर रहते,

माता पिता की सेवा करते।

थोरे हठी, थोरे शरारती,

होते इन सब के गुण।।


हमारी तरह ही था इनका जग,

अनेक खुशियाँ और उपहार।

था इनका भी कुछ सपना,

पलकें बिछाये बैठे थे अपना।।


पर एक शाम ऐसी आई,

बड़ी भयानक-सी आँधी लाई।

इनकी दुनिया छीनने,

एक बड़ी महामारी आई।।


कोरोना का रूप लेकर,

इस जगत में समाई।

मजबूर कर इन बेबसों को,

इनसे मजदूरी करवाई।।


अब इस नन्ही-सी जान को,

अपनी पहचान बना लो।

इन नन्हे-मुन्हो को,

अपना अभिमान बना लो।।


करेंगे विख्यात तेरा नाम,

पूर्ण करेंगे तेरी इच्छा।

अब एक कदम उठा,

इन बच्चों को पढ़ा।।


होगा गर्व तुझे इक दिन,

प्रसन्नता-उल्लास से मन भरेगा।

अब बस एक कदम और उठा,

इस बालश्रम को हठा।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract