पीला शिवलिंग
पीला शिवलिंग
तप की ओर निकली जब हेम कुमारी
महलों की थी वो राजदुलारी
मैना देवी से छिपकर
वो आन बसी थी वन पर।
पीली माटी लेकर वो वन की
रचना करने लगी वो शिवलिंग की
वो हाथों के स्पर्श से माटी मुस्कुरा दी
खुद ब खुद वो शिवलिंग रूप में ढल गई।
पार्वती माता की खुशी का ठिकाना न रहा
वो हर्ष और उल्लास में झूम उठी
शिव की पूजा करते करते
वो खुद शिवमय हो गई।
कोई रंग कम ना आंको
हर रंग का अपना महत्व है
ये माता रानी के नवरत्न है
जिनको कहते हम नवरात्र हैं।।