फूल शाख से टूटकर आ गिरा!
फूल शाख से टूटकर आ गिरा!
ये कल्पना हमारी जान से परे हैं..
दर्द फूल को हुआ
पर दिल हमारा रो दिया!
नाज़ुक सा फूल गुलाब का..
मुसमुसाती पंखुड़ियां..
शबे बहार दिले गुलज़ार..
क्या कहें.. प्यारे गुलाब..
हर दर्द का आशिक तू,।।
खुशियों में साजिक तू..
तुझे चोट लगे..
मेरा इतना कलेजा नहीं!
टूट कर गिरना मत..
जमी पर बिखरना मत..
आज टूटकर गिर गया..
मेरा दर्द भी टूट गया..
गिरकर भी तेरी खुशबू ने..
सबाबे महफिल को रोशन किया!