फ़रियाद
फ़रियाद
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फ़रियाद करूँ तो अब किससे
कोई अपना नज़र नहीं आ रहा था
भीड़ तो लगी थी महफ़िल में
हर कोई जश्न मना रहा था
हम खड़े बेगाने महफ़िल में
जाम से दर्द मिटा रहे थे
करते थे साथ रहने का वादा
आज वह नज़र ही नहीं आ रहा थे।