पहली मुलाकात
पहली मुलाकात
तारीख थी वो पन्द्रह ,दिन था मंगलवार।
मिलने आए है वोह हमसे ,करके गंगा पार।
माह है जनवरी ,साल है २००८।
दंग है हम ,देखकर उनके ठाठ।
पहना है उन्होंने ,स्वेटर नेवी ब्लू।
नज़रे उनकी कह रही हैं ,आई लाइक यू।
आज बरिष्ता की काफ़ी में अलग ही है स्वाद।
दे रहे है वो हमारी हाज़िरजवाबी की दाग़।
ख़तम हुआ तीन साल का इंतज़ार।
लग रहा है अब हर पल खुशगवार।
बैठें है वो आज हमारे रूबरू।
कर रहे है हौले हौले गुफ्तगु।
एक नए रिश्ते की यह है शुरुआत।
कह रहे है जल्द लेकर आयेंगे हमारे घर बारात।
यादों को शब्दों की माला में पिरोया हैं।
उस पहली मुलाकात को इस कविता में सजोया हैं।।