प्रकृति की सीख
प्रकृति की सीख
इतने तारे कहाँ से आये
दूर गगन में इतने तारे।
चाँद हैं पुँछे इनसे जैसे।
क्यों बैठें गुमशुम से ऐसे।
कुछ तो बोलो ख़ामोशी तोड़ो।
अमावस है तो क्या आएगी पूर्णिमा।
दुख सुख तो है दो पहलु जीवन के।
एक के बिना दूजा अधूरा।
हर पतझड़ देता हैं सावन आने का संदेश।
गिरना उठना फिर आगे बढ़ना ही तो है जीवित रहने का संकेत।
