Suresh Koundal

Abstract Romance Classics

4.7  

Suresh Koundal

Abstract Romance Classics

पहले प्यार का इकरार

पहले प्यार का इकरार

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अजब उलझने थीं ज़िन्दगी में 

तुम सकूं बन कर आये 

छू गए मेरे दिल को 

फिर जनूँ बन कर छाए।


देख चेहरा तेरा 

नज़रें जम सी गईं,

इस दिल की सनम

धड़कन थम सी गईं।


देख मुझको जो तुम

थोड़ा शरमा से गये 

होंठ मुस्का कर तेरे

मेरी जान ले गए।


अब ना नींद थी 

अब ना होश था ,

अजब सिरहन सी थी 

दिल मदहोश था।


प्यास बुझ सी गई

भूख मिट सी गई,

ज़िन्दगी ख्यालों में तेरे

सिमट सी गई ।।


सामने हर घड़ी था

अब था चेहरा तेरा ,

दिल की धड़कन पर 

रहता था पहरा तेरा।


अब रहने लगा मुझे

हर पल इंतज़ार 

दोस्त कहने लगे 

हो गया तुझको प्यार।


मुहब्बत ये तेरी

खुशनुमा सा सबब थी ,

इस दिल को हर पल

सिर्फ तेरी तलब थी।


क्या दौर था वो

क्या था वो नज़ारा,

छाई थी मस्ती 

बड़ा मौसम था प्यारा।


सहेली से तेरी 

लिया मुश्किल से नम्बर ,

घुमड़ आया दिल में

हसरतों का समंदर।

तुमने "हेलो" कहा जब

किया तेरा डायल नम्बर,

कैसे करूँ बयाँ

वो दिलकश सा मंज़र।


बड़े अच्छे लगते हो तुम 

प्यार करता हूँ तुमसे

एक ही सांस में सब बोल डाला 

तेरे सामने इस दिल का

हर राज़ खोल डाला।


थोड़ा शरमा कर तुमने

होंठ दांतों तले दबा डाला,

" मैं भी " ....कह कर 

फिर फोन काट डाला।


इन दो शब्दों ने

मेरी ज़िंदगी बदल दी,

बेजान दिल में 

ज़िन्दगी ऐसी भर दी।

थी ये दास्ताँ कि

कैसे किया तुमने इकरार था,

हुआ ऐसे शुरू जो

मेरा "पहला प्यार " था।


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