STORYMIRROR

vartika agrawal

Romance

4  

vartika agrawal

Romance

पहला प्यार

पहला प्यार

1 min
377


कॉलेज की वो सुबह 

होंठों पर दोस्तों से श्री ऑरबिंदो घोष का नाम।


सीढ़ियों से जल्दी चढ़ने की जल्दबाजी,

कि तभी नज़रों का टकराना जो था अंजान ।


ना हटा पा रही थी मैं ही कुछ नज़र,

और वह नज़र पढ़ने लगा बेनाम ।


हल्की सी तैरी उसके आँखों में शरारत,

हल्की सी उड़ती लटें मेरी भी देने लगी कुछ आहट।


बढ़ते कदम थमने लगे थे 

ना जाने कुछ कह रही थी वो मुस्कुराहट ।


चुंबक सी चिपकी नज़रें छूटने लगी,

कानों में जो गूँजी घंटी जैसे बादल की गड़गड़ाहट।


हाय! कैसे भूलूँ उसका मुड़कर देखना,

दिल के तारों पर छेड़ती प्रीत राग की चाहत।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance