तुम जब पास होती हो
तुम जब पास होती हो
तुम जब पास होती हो
बिन कहे मुझसे बातें जब करती हो
हाथ थाम कर गुमनाम राहों पे जब चलती हो
तोह वक़्त की कोई पाबन्दी नहीं होती
बाँहों में तुम जब होती हो तो ये सर्द-रातें भी ठंडी नहीं होती!
तारीफ करने पर आँखें नीची करके जो शर्माती हो
पल्लू में सर धक् कर इशारों में सौ बातें कह जाती हो
कसम खुदा की फलक से उतरी कोई हूर सी लगती हो
हर दफा तुमपे ही दिल हारता हूँ, मेरी चाहत सी तुम ज़रूर लगती हो!!
तुम जब पास होती हो
चेहरे पे अजब सी मुस्कान छायी रहती है
हर पल साथ तुम्हारे, हसीं लगती है
जैसे मेरी मंज़िल, मेरे ज़िन्दगी का मक़सद हो तुम
मेरे दिल की हर ख़्वाहिश, मेरी हसरत हो तुम!
मेरी कमियाँ, खूबियाँ भी कहाँ मुझे नज़र आती है
तुम जो हो, हर वो आरज़ू मयस्सर लगती है
तुमसे ही रूह को सुकून, वरना कहाँ ये महफूज़ होती है तुम जो हो,
तो ज़िंदगी में किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होती है!!
लेकिन अब
अब जो तुम चली गयी हो
घुटन सी होती है जैसे पिंजरे में किसी पंछी को क़ैद किया हो
उससे उसकी आज़ादी चीन कर एक नयी पहचान दे दिया हो
जैसे इरादों में नहीं हौसलों में उसके कमी हो
चाहे बादलों को छूने वो उड़ जाए, आँखों में उसकी नमी हो!
क्योंकि अब तुम फिर प्यार से मेरा नाम नहीं लोगे
मेरा मज़ाक उड़ाते हुए, मुझसे रूठ कर, नहीं तुम मुझे सताओगे
गुमशुदा, उसी राह पर चलते चलते थम जाता हूँ
तुम जो नहीं हो तोह कुछ सहम सा जाता हूँ !
अब जो तुम चली गयी हो
दिल के अंदरूनी कोने में एक दर्द सी चिप कर रह गयी
न जाने ऐसी कौन सी बात अनकही अनसुनी रह गयी
मेरी गुंजतीं खामोशियों में आज भी तुम्हारा ही ज़िक्र होता है
न जाने कब ये दिल बेपरवाह बेफिक्र होता है
अक्सर खुद से खफा और जग से रूठ जाया करता हूँ
जब तुम्हारी याद चली आती है, अंदर से थोड़ा और टूट जाया करता हूँ
तुम्हे भुलाने में अपना सारा वक़्त जाया करता हूँ
लाख कोशिशों के बावजूद वही किस्सा दोहराया करता हूँ!!