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S P PANDEY

Romance

4  

S P PANDEY

Romance

कश्मकश

कश्मकश

2 mins
471

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दिल मे तुझे सजा लिया है, मेरे बस में है बस यही

सजाऊँ तो अपने घर में तुझे सजाऊँ भी तो कैसे।


तुम भी हो बंधनो में, मैं भी हूं बंधनों में

दोनों को बंधनो से आजाद कराऊँ भी तो कैसे।

तुम् आज़ाद ख्याल पसंद हो मालूम है ये मुझे, 

घर मे लगे बेड़ियों से तुझे बाँधु भी तो कैसे।


मेरे आंगन में थोड़ी रौशनी कम है, ऐसा मुझे लगे

तेरी जरूरत है पर कुछ कर नही सकता,

रखना है तुम्हे छुपाकर इस दुनिया से मुझे

घर के आंगन में तुझको मैं लाऊं भी तो कैसे।


तूने मेरे दिल मे कब घर बना लिया, सच कहूँ तो मुझको पता भी न चला

तुम्ही बताओ तेरे दिल मे घर, मैं अब बनाऊँ कैसे।


तेरी हँसी ही मेरी दौलत है मालूम हो तुम्हे, 

इस दौलत को सरेआम मैं दिखने कैसे दूं,

हक़ है मेरा इस पर और चन्द अजीजों का, 

हर किसी को मैं अज़ीज़ बन जाने भी दूं तो कैसे


तुम जानती हो अहमियत तुम्हारी मेरी ज़िंदगी में

भूख तो मैने मार दी अपनी, पर साँस हो मेरी तुम,

तेरे बगैर तू ही बता मैं जिऊँ भी तो कैसे।


मैं प्यार करता हूँ तुम परवाह करती हो, फर्क बस इतना है

ये फर्क मिट सकता है तेरे इजहार से मगर, 

तेरे लबो से प्यार का इजहार करवाऊँ भी तो कैसे।


तेरे दिल पर दस्तक कई बार मैंने दी, तूने हमेशा मुझसे इंतज़ार को कहा

तेरी हाँ के इंतेज़ार में बैठा हूँ सदियों से

तेरी हाँ सुने बगैर, इस जहाँ से जाऊँ भी तो कैसे।



चेहरे की एहमियत भी समझता हूं ऐ सनम, चेहरे की जगह दिल को मैं लगाऊं भी तो कैसे।


दिल मे तुझे सजा लिया है, मेरे बस में है बस यही,

सजाऊँ तो अपने घर मे तुझे सजाऊँ भी तो कैसे।

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