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S P PANDEY

Romance

4  

S P PANDEY

Romance

तड़प

तड़प

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तुझसे मिलने से पहले मुझे कुछ एहसास ही ना था,

क्या है ये तड़प मुझे मालूम ही न था।


नादान भी था मैं जज्बातों से भी अनजान भी था मैं,

तुझे देखने की भी तड़प होगी इस से अनजान भी था मैं।


किसी की आवाज़ का भी इंतज़ार होगा, ये मालूम ही न था,

तेरी मीठी बोली सुनने की भी तड़प होगी, अनजान ही था मैं।


बदन से बदन मिलने की तड़प, सुनी तो मैंने थी

रूह से रूह मिलने की तड़प से अनजान ही था मैं।


सुकून की तलाश में दर दर था मैं भटकता,

ये तड़प ही सुकून देगी अनजान ही था मैं।


हुम् एक दूजे दूर बस यही सुकून है,

तुझसे मिलने की तडप से अनजान ही था मैं। 


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