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S P PANDEY

Inspirational

3  

S P PANDEY

Inspirational

नादान परिंदे

नादान परिंदे

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तिनका तिनका क्यों जोड़े तुम फिरती हो,

उड़ना है तेरी फितरत, ठिकाने फिर क्यों बनाती हो।


तेरी आवाज सुकून देती क्यों तुम तड़प देती हो,

चहचहाना तेरी खूबी क्यों शांत बैठती हो।


तेरी पंखों की उड़ान लोगो को हौसला देती है,

घोसले में बैठकर तुम क्या पैग़ाम भेजती हो।



पिंजड़े में तुझे देख आज़ादी क्या समझ आयी,

क्या ग़ुलामी की जंजीर तोड़ने का संदेश तुम देती हो।



परिंदे, तुझे लोग, नादान हैं जो कहते,

ज़िंदगी कैसे जिये हम ये बात तुम कहती हो।


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