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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Abstract Romance

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शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"

Abstract Romance

पहला प्यार

पहला प्यार

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मैं जानती थी कि ये पहला प्यार है मेरा,

जो कोई करता नहीं है, बस हो जाता है,

जब अनजाने ही कभी, किसी के लिए ये,

दिल अचानक से बस धड़क जाता है, और


जानती थी, कि सबको होता है, एक बार, तो

बस ये मुझे भी हुआ है, ये तो फ़रेबी दिल है,

जो कब किसका हुआ है, सोलहवां साल है,

नयी उम्र का एहसास है, जो अभी अभी बस,


मुझे छुआ है, हाँ हाँ मुझे पहला प्यार हुआ है,

रंगीली दुनियाँ है ख्वाबों की, जो बुन लेती है मेरी

आँखे उसके इर्दगिर्द और स

िमट जाती हैं उसपर,

हमें प्यार हुआ है उससे, ये उसे खबर भी नहीं है,


भूल जाते है कि ये कब किसी का पूरा हुआ है,

पहला प्यार है, तो रश्मअदायगी भी होगी उसकी,

होता तो है, पर मुकम्मल कब किसी का हुआ है,

दिल टूटता है, अधूरा ही रह जाता है और बस

एक टीस बचती है उसकी, यादों के अंधेरे कोनों में,


बस जाता है दिल ए गहराईयों में, और जब होता है

जिक्र प्यार का, तो आँखो के रास्ते रिसने लगता है,

कहने लगता है कि, हाँ वो तो मेरा पहला प्यार था l


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