फ़ितरत नहीं बदलती
फ़ितरत नहीं बदलती
जो कभी रास्ते में छोड़ जाए,
तुम्हारे वापिस आने पे ही अपनाए,
क्या ताउम्र साथ निभा पायेगा,
क्या अपना विश्वास दिला पायेगा,
आदतें बदल जाती है,
मग़र फ़ितरत नहीं बदलती।
जो कभी बस प्यार का दिखावा करे,
और प्यार कभी जता ही न पाए,
क्या कभी तुम्हें खुश रख पायेगा,
क्या तुम्हारी खुशी की अहमियत समझ पायेगा,
नफ़रतें ख़त्म हो जाती हैं,
मग़र फ़ितरत नहीं बदलती।
जो तुम्हें इज्ज़त देने का दावा करे,
और दूसरों के सामने बेइज्ज़त कर जाए,
क्या तुम्हें इज्ज़त से रख पायेगा,
क्या अपनी ही इज्ज़त की परवाह करता रहेगा,
हरकतें बदल जाती हैं,
मग़र फ़ितरत नहीं बदलती।
जो कभी अपने दर्द को दर्द समझे,
और तुम्हें दर्द में छोड़ कर चला जाए,
क्या तुम्हें ठीक रख पायेगा,
ठीक न रहने पे तुम्हारी ग़लतियाँ सहन कर पायेगा,
जरूरतें बदल जाती हैं,
मग़र फ़ितरत नहीं बदलती।
जो तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा हो,
और तुम्हें कभी ज़िन्दगी मान ही न पाए,
क्या न चाहते हुए भी तुम्हारा हो पायेगा,
क्या कभी तुम्हारी मौत को भी ज़िन्दगी बना पायेगा,
चाहतें बदल जाती हैं,
मग़र फ़ितरत नहीं बदलती।
जो कभी तुम्हारे मन को डरा जाए,
तुम्हारा दिल तुम्हें ज़रा भी संकेत दे जाए,
क्या तुम्हारा फ़ैसला बदल पायेगा,
या फिर समाज रुकावट बन जायेगा,
रिवायतें बदल सकती हैं,
फ़ितरत नहीं बदलती।
