फिरदौस, मौत अरमानो की
फिरदौस, मौत अरमानो की
आइए आपको एक दास्ताँ सुनाते हैं..
हाल-ए-दिल फिरदौस का बताते हैं......!!
लाखो मे एक लड़की वो कमाल थी..
जीती जागती जिंदादिली बेमिसाल थी...!!
माँ बाप के मस्तक का मान सम्मान..
खुदा का नूर, हर हुनर मे लाजवाब थी...!!
किसी मंदिर मे बैठी मूरत सी सूरत..
खूबसूरती की मिसाल, वो बेहिसाब थी..!!
दिल मे लाखो अरमान, लाखो सपने..
बस जिंदगी मे कुछ बनने की प्यास थी...!!
पर खलती थी आजादी ये समाज को..
जिंदादिली उसकी लोगों को नागँवार थी.!!
बहुत पढ़ चुकी, सिर पर मत चढ़ाओ..
लड़की ही रहने दो, इतना मत पढ़ाओ...!!
सुनकर ये, पिता की आँखे नम हो गई..
बिटिया के लिए चाहत कैसे कम हो गई..!!
बिटिया के लिए अब कुछ भी कर जाना है..
पढ़ा लिखाकर उसको डॉक्टर बनाना है.!!
ये सुनकर, फिरदौस का चेहरा खिल गया..
जैसे उसे खुशियों का हंसी जहां मिल गया.!!
आया जिंदगी मे उसकी वो हँसी सा दौर..
डॉक्टर बन बैठी, हर तरफ था यही शोर.!!
ख्वाब जो अधूरे थे, आज वो पूरे हो गए..
सुनकर ये, ठेकेदारों के दिल अधूरे हो गए.!!
निःस्वार्थ भाव से सेवा लोगों की करती रही..
अंधविश्वास, बुराई आदि से भी लड़ती रही.!!
अब माँ बाप को शादी की चिंता सताने लगी..
होकर अधीर, माँ फिरदौस को बताने लगी.!!
फिरदौस भी शादी के लिए रजामंद हो गई..
सुनकर ये, माँ भी खुशी से परमानंद हो गई.!!
जल्द ही एक ऊंचे घराने मे रिश्ता हो गया..
पूरा परिवार शादी की तैयारी मे खो गया.!!
देखकर तस्वीर शौहर की, धीरे से मुस्काई..
फिर कानो मे उनके हौले से फुसफुसाई.!!
खो बैठी खुद को, उनके ख्यालो मे खो गई..
घर का चिराग थी जो, अब बेगानी हो गई.!!
आखिरकार वो मुबारक सा दिन आ गया..
हर तरफ खुशियाँ, हर्षोल्लास छा गया..!!
हर शह से नवाजा, कहीं कोई कमी ना थी..
खुशियाँ थी बस, कहीं आँखों मे नमी ना थी.!!
जेवर, कपड़े, जरूरत का हर सामान था..
अपनों से बढ़कर हर बाराती का सम्मान था.!!
देखकर ऐसे ठाठ-बाट, ससुर हैरान हो गया..
ज़्यादा पाने के लालच मे वो बेईमान हो गया.!!
डॉक्टर बेटी के बाप हो, कुछ ज्यादा कीजिए..
ज्यादा नहीं, एक करोड़ का बंदोबस्त कर दीजिए.!!
वरना नहीं होगी शादी ये, इतना कह देते हैं..
एक करोड़ दीजिए, वरना विदा हम लेते है..!!
ये सुनकर बाबा की आँखों से आंसू निकल पड़े..
अंधेरा छा गया, चक्कर खा गए खड़े खड़े..!!
कहाँ से लाऊँ पैसा, किसका दरवाजा खटखटाऊं..
और नहीं बस कुछ मेरे पास , कैसे ये बताऊ.!!
पगड़ी रखता हूं पैरों मे, बस लाज रख लीजिए..
मेरी दिल के टुकड़े को हँसते हुए विदा कीजिए.!!
पैसों के मद मे चूर, ससुर था बस ऐंठा हुआ..
चाहिए बस एक करोड़, जिद लिए था बैठा हुआ.!!
गुस्से से भरकर, ससुर ने ठोकर पगड़ी मे मार दी..
कुछ पैसे के लिए, इज्ज़त समधी की उतार दी..!!
फिर तो ये बात, फिरदौस तक भी जा पहुंची..
हाथो मे मेहंदी रचाए, वो महफिल मे आ पहुंची.!!
सामने बाबा का रोता सा हुआ मुखड़ा था..
तार तार हुआ माँ बाप का दिल का टुकड़ा था.!!
रोते रोते अचानक, फिरदौस होश खो गई..
लाखो सपने लिए, वो तो खामोश हो गई..!!
दहेज के कारण, आज फिर कोई बेनूर हो गया..
देख फिरदौस को, हर दिल ग़म मे चूर हो गया..!!
देखो ओ हैवानों, ओ दहेज के लालची शैतानों..
आज फिर खिलता हुआ फूल, धूल हो गया..!!
शर्म करो ओ लोभी, लालची, मक्कार, मानव..
तू क्यों अपने लालच मे इतना मशगूल हो गया..!!
आज फिर मुस्कराता सा चेहरा बेनूर हो गया..!!
