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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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फिर वही यादें

फिर वही यादें

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फिर वही यादें

यादों का हुजूम

फिर वही सपना

सुंदर भविष्य का

फिर वही पल

अभी अभी सा

महसूस हो रहा है

यादों का और दूर जाना

उनकी ही आवाजों के सम्मोहन में

कितना अद्भुत है ये विश्वास भी की

हम कुछ नया

बुन रहे हैं

इस पल में

बिल्कुल अजनबी की तरह

और नजर में हैं यादों की।

इस नये पल में

भविष्य का स्वागत करते हुये

जीवन को

नये अंदाज में जीने के हुनर का

प्रतिबिम्ब है हमारी आंखों में...


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