फिर एक बार
फिर एक बार
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इतनी जगह कैसे बची रह गयी
मेरे मन में
इतने हादसों के बाद
कहाँ बचा रह पता है
कुछ भी साबुत
फिर कैसे बची रह गयी मैं
पूरी की पूरी
निश्छल वैसी ही
इस वय और इन हालातों में
जब कि हमारे बीच
दो ध्रुवों की दूरियां हैं
क्या है जो उमग रहा है
फिर भी
अच्छे लगने लगे हो
तुम इतना
एक बार फिर
क्यों बेमानी हो उठा है
सब कुछ
इस वय में फिर
एक बार।