Hemisha Shah
Drama
माँ_बाबा की दुलारी हूँ
बड़े नाज़ो से पाली हूँ
पीहर भी है घर मेरा
ससुराल में भी सजाई हूँ
पापा बोले" तु ससुराल की "
पति कहे" तु ना इस गांव की "
दोनों चौखट पे अपनी
पहचान बनाई हूँ
फिर भी में पराई हूँ।
अनजाना....
परियाँ....
बचपन....
यात्रा
वही तो प्रेम ...
याद..(शहीदों ...
अच्छी है दूरि...
एक माँ ...
विधाता तेरी क...
अन्नदाता..( f...
आतंकवादियों द्वारा हमला किया जा रहा है। जो धर्म के नाम पर मारते और नष्ट करते हैं। आतंकवादियों द्वारा हमला किया जा रहा है। जो धर्म के नाम पर मारते और नष्ट करते...
कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं। कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं।
इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी। इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी।
एक ही ज़िंदगी है, अपनी इच्छाओं को पूरी करो यही दुनिया के सारे द्वार खोलता है, मैंने भी सीखा कि अरमान ... एक ही ज़िंदगी है, अपनी इच्छाओं को पूरी करो यही दुनिया के सारे द्वार खोलता है, मैं...
किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा। किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा।
विनाश सदैव विकल्प है प्रथम खटकाओ सभी द्वार...! विनाश सदैव विकल्प है प्रथम खटकाओ सभी द्वार...!
इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है
जब तख्त की ज़ुबाँ बोलनेे लगे अखबार, तो कैसे लिख दूँ कि कलम की ताकत अभी ज़िंदा है...। जब तख्त की ज़ुबाँ बोलनेे लगे अखबार, तो कैसे लिख दूँ कि कलम की ताकत अभी ज़िंदा ह...
इन मय-क़शी सदाओं में ज़रा सी अज़मत भर देना... गुज़ारिश है तुमसे, एक बार, बे-दिली से ही सही... ब... इन मय-क़शी सदाओं में ज़रा सी अज़मत भर देना... गुज़ारिश है तुमसे, एक बार, बे-...
जिसका गहना उसका मान सम्मान है औऱ जिसकी मुस्कुराहट उसके आज़ाद विचारों की पहचान है ! जिसका गहना उसका मान सम्मान है औऱ जिसकी मुस्कुराहट उसके आज़ाद विचारों की पहचान...
लबों के छिपे राज़ो को जानते है, चलो आज कुछ नया करते है.. लबों के छिपे राज़ो को जानते है, चलो आज कुछ नया करते है..
सत्य हूं मैं, बिक चुका हूं झूठ के बाज़ार में । मैं अकेला चल रहा हूं... सत्य हूं मैं, बिक चुका हूं झूठ के बाज़ार में । मैं अकेला चल रहा हूं...
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
चाहे कितना घनघोर अँधेरा छाया है कर्मवीरों ने अमावस को पूनम बनाया है। चाहे कितना घनघोर अँधेरा छाया है कर्मवीरों ने अमावस को पूनम बनाया है।
अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर ! अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर !
छोटे बच्चों को ना रोको, खेलने दो रेत में पाक रहने दो उन्हें, अपना गणित सिखलाओ मत...! छोटे बच्चों को ना रोको, खेलने दो रेत में पाक रहने दो उन्हें, अपना गणित सिखलाओ...
वह भोर के तारे से अधिक गोरा, और चन्द्रमा से भी अधिक सफेद है, वह भोर के तारे से अधिक गोरा, और चन्द्रमा से भी अधिक सफेद है,
बचपन के बारे में एक कविता...। बचपन के बारे में एक कविता...।
बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्तेदारियां बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्त...