फिर भी मैं पराई हूं
फिर भी मैं पराई हूं
जिंदगी तूमने जिंदा रहना सिखाया,
उठने बैठने का सलीका सिखाया,
हर पल साथ निभाया,
अच्छे बुरे का फर्क समझाया,
हर वक्त जूझने का फलसफा पढ़ाया,
समाज में भुमिका अदा करने का नियम बनाया,
फिर भी तुम्हें पराया कहलाया।
हर जान, होती नश्वर,
जब उसकी जिंदगी खत्म हो जाती,
वो इस दुनिया से रुखसत हो जाती,
शायद इतना कुछ करने के बाद,
जिंदगी इसलिए पराई कहलाती।