फिदा हूँ
फिदा हूँ
कैसे कहूँ कि मैं उसके ख़्वाब से जुदा हूँ,
हाँ मैं उसकी हर एक अदा पर फिदा हूँ।
मासूमियत उसे सभी से अलग करती है,
मैं जानता हूँ वो बस अंधेरे से डरती है।
दुनिया की नज़रों में वो सबसे बहादुर है,
पर मेरी नज़रों का इकलौता वो नूर है।
जब वो बोले बस सुनने को मन करता है,
दिल उसकी गलियों में ही ठहरता है।
नजर ना लग जाए उसे दुनिया की कहीं,
इसलिए सबकी नज़रों से चुरा कर रखता हूँ।
प्यार के बारे में बहुत सुना और सुनाया है,
मेरे दिल को उसने ही धड़कना सिखाया है।
जिद्दी है पगली, हर बात की ज़िद करती है,
ज़िद पूरी करने की उम्मीद मुझसे रखती है।
मैं उसके चारों तरफ एक साये जैसा फिरता हूँ,
लाखों हसीना पर नहीं बस उसपर मरता हूँ।
जान भी हाज़िर है गर कह दे वो एक बार,
शादी का बंधन भी कर लूँगा स्वीकार।
मेरी हर बातों को बखूबी समझती है,
पर प्यार के नाम पर अनजान बनती है।
जिस शोर को नहीं सुन पाए वो सदा हूँ,
मेरी जान है वो मैं जिस पर फिदा हूँ।