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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance

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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance

ठहरे हुए पल..

ठहरे हुए पल..

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पल..वो जो बीते हुए

नहीं बीतते कभी

बीतकर भी

ठहरे ही रह जाते हैं


यहीं-कहीं

थोड़ा कुछ तुझमें

थोड़ा कुछ मुझमें !


कभी सेक में नरम धूप की

कभी बारिश के गीलेपन में

कभी तारे बन 

झांकें ऊपर से


कभी बतियाएं हव संग ये

और..ठहरे ही रह जाते हैं

मेरे-तेरे स्पर्शो में !


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