भोजपुरी गजल - जिनगी अब जहर भइल
भोजपुरी गजल - जिनगी अब जहर भइल
तोहसे प्यार भइल घाव अब कहर भइल।
खा के धोखा आशिक एहर ना ओहर भइल|
रूप के चाँदनी में प्यार के आसरा खोजली।
रूप मिलल ना चान इश्क बे डहर भइल।
मासूम चेहरा में दिल पत्थर कइसे होला।
बेवफा के दगा जिनगी अब जहर भइल।
प्यार कइल केवन कसूर बा बतावा केहु।
टुटल दिल हमार प्यार अब बे कदर भइल|
दिल तोड़ही के रहे सपना देखवलू काहे।
ठुकरा दिहलु हमके तमासा शहर भइल।
कीमत आशिक पत्थर दिल ना जाने कबों।
ना जनलु जिनगी भारती कईसे गुजर भइल|

