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Poonam Matia

Tragedy

5.0  

Poonam Matia

Tragedy

फेल हो गये

फेल हो गये

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भवें तनने लगी

पर पलकें नम होने लगी

अजीब-सी परिस्थिति, विकट-सा मायाजाल

कानों में गूंजते गोलियों के धमाके

टीवी कमेंटेटर के रुंधे स्वर

एक के बाद एक

‘बाल शहीदों’ की गिनती में इज़ाफा

माँओं ने कुछ बुने ख़्वाब

सजाये पिताओं ने उनमे कुछ गौहर नायाब

सज संवर बाँध कमर में पेटी, गले में टाई

हर इम्तिहान को तैयार स्कूल को चले ‘नवाब’

पर अलामते बरसीं और

ज़िन्दगी की परीक्षा में ‘फ़ेल’ हो गए

ये मासूम आखिर क्यों जीवन की पटरी से

बे-वक़्त ‘डी-रेल’ हो गए


‘जिहाद’ के नाम पर धमाके

तो पहले भी हुए बहुत

ऊं

ची इमारत, होटल, घर, मंदिर, संसद

सरहद के इस पार, सरहदों के उस पार

कभी ये दोषी ,कभी वो दोषी

समझाकर हर बार हमने ख़ुद को किया तैयार

मालूम हैं नहीं रुकेंगे ये दहशतगर्द

पर! इस दफ़े कुछ टूट गया है भीतर

‘झंडा’ कौनसा है? नहीं है ख़बर

क्या ‘गीता’, क्या ‘कुर’आन’

हर एक ‘ज़िन्दा’ है बस हैरान, परेशान

किसी तसव्वुर में, किसी ज़ाविये से

इस खून का बहना जायज़ है क्या ?

कौन सा ज़ुल्म, कौन सा जुर्म, कौन सा कहर

बरपाया था नौ-निहालों ने

इम्तिहान-ए-ज़ीस्त में फ़ेल हो गए

ये मासूम आखिर क्यों जीवन की पटरी से

बे-वक़्त ‘डी-रेल’ हो गए


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