हाथ कंपकंपाते हैं
हाथ कंपकंपाते हैं
1 min
211
ये असर होता है
नज़दीकियों का उनकी
अपने दिल की धड़कन
उनमें सुनाई देती है
आँखे गर नम हो उनकी
अश्को की धार यहाँ बहा करती है
हँस दें जो खिलखिला के वो
फूल हमारी बगिया में खिल जाते हैं
हौले से गर छू जाये उनका आँचल भी
साँसों में हमारी तूफान आ जाते हैं
एक मुद्दत से तमन्ना थी उन्हें छूने की
आज जब करीब हैं वो
न जाने क्यों हाथ कंपकंपाते है
