STORYMIRROR

फैशन की दौड़

फैशन की दौड़

1 min
14K


कहां अभी स्वतंत्र हुए हम

आजादी के इस दौर में,

पांव हमारे पकड़ लिये हैं

फैशन की इस दौड़ ने ।


फैशन की दौड़ भाग में हम

भुला बैठे हैं संस्कृति को

जो हमारे अतीत थे

भुल गये उन गीतों को

हाथ पर हाथ धरे बैठें हैं

करना है कुछ ओर हमें

कहां अभी स्वतंत्र हुए हम

आजादी के इस दौर में।


माना भूली संस्कृति को

वापिस हम नही ला सकते

मगर जो वो आदर्श हैं

उनको भुला नही सकते

उन आदर्शों की नींव पर

महल बनाना हैं चाहते

कहां अभी स्वतंत्र हुए हम

आजादी के इस दौर में।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama