फागुन
फागुन
आ गया है देखो फागुन
छाई चहूं ओर उमंग
झूम रहे हैं मतवाले
बाजे ढोल मृदंग।
हवा बसंती उड़ा रही है
रंग बिरंगी गुलाल
गोरी के भी गाल हो गए
पिया के रंग में लाल।
तन मन डूब गए प्यार के रंग में
खिल उठी है मस्त बहार
सब यारों की टोली मिलजुल
चल पड़ी है द्वार द्वार।
वैर भाव सब भूल गए
हिल मिलकर सब गले मिले
अपने अपनों के रंग में
रंगने आज चल पड़े।
