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SONI RAWAT

Abstract Fantasy

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SONI RAWAT

Abstract Fantasy

पहाड़ों की यात्रा

पहाड़ों की यात्रा

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कितनी भी जगह कर लूं यात्रा

मेरी ख्वाहिशों की नहीं कोई मात्रा


कभी घूमे ऊंचे ऊंचे पहाड़ों में

मस्ती की झील और झरनों में


देवभूमि में किए देवी- देवताओं के दर्शन

चढ़ते गए ऊंचाई पर चाहे आई अड़चन


हरियाली फैली है चारों ओर

शांति ही शांति, ना है कोई शोर


सूरज की पहली किरण पड़ती है चोटी पर

कभी धूप है कभी छांव हर पहर


खेत - खलियानों में लहराती है धान

यही है पहाड़ीयों की असली पहचान


फलों से लदे सभी पेड़ हैं

नहरें- झरने पानी से भरे हैं


पक्षियों की चहचहाहट मन को भाती है

 ऐसी यात्रा रोज कहां हो पाती है। 


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