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Kunda Shamkuwar

Abstract Others Romance

4.8  

Kunda Shamkuwar

Abstract Others Romance

पचास पार का प्रेम

पचास पार का प्रेम

1 min
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उम्र के पाँचवे दशक में एक औरत को प्यार होना....

उसकी वह झिझकती निगाहें....

'क्या कहेंगे लोग' से लेकर 'कैसे कहूँ' तक....

कह भी दिया कि तुमसे प्रेम है तो क्या बेशर्मी होगी?

नही, क्योंकि सब कहते हैं प्रेम तो विराट होता है....

उदात्त होता है....

अपरिमित होता है.... 

फिर प्रेम में झिझक कैसी?

कभी कहानियों में पढ़ा था कि मर्दो की उम्र नही देखी जाती....

ना ही रूप रंग देखा जाता है....

मर्द साठा तो पाठा होता है......

लेकिन औरतों के मामलों में अलग कानून होते हैं ...

क्योंकि औरत तो देवी होती है...

वह त्याग की मूर्ति होती है....

अगर वह प्रेम के बारे में सोचे तो पाप न होगा?

वह बेहयाई न होगी?

औरत प्रेम करे?

वह प्रेम की माँग करे?

किसने उसे अधिकार दिया?

हमारी संस्कृति का क्या होगा?

अब कोई यह न कह दे कि प्रेम तो आत्मा से होता है....

और आत्मा का क्या कोई जेंडर होता है?

तो आओ.....चलो...

प्रेम करते हैं ... 

फिर प्रेम में डूब जाते हैं ....


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