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Vikram Kumar

Tragedy

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Vikram Kumar

Tragedy

पौधे लगाएं

पौधे लगाएं

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प्रकृति से छेड़छाड़ का यह कड़ा प्रकोप है शायद

ऐसा लगता की भीषण गर्मी ईश्वर का कोप है शायद,

युद्ध स्तर पर काटे वृक्ष हमने , सुविधाओं को पाने में

प्रकृति से किया खिलवाड़ , आधुनिकता तक आने में,

हम भूल गए कि धरती अंबर खुद के रचे हुए नहीं

खिलवाडो़ं से धरा , नभ,नदियां कुछ भी बचे हुए नहीं,

काटे वृक्ष स्वार्थ में पड़कर पहाडि़यां भी तोड़ दिया

कारखानों के कचरे को सरिताओं में छोड़ दिया,

विषमताएं फैलाईं अपने कर्मों से कायनात में

शहर बनाने को गांवों में , और दूर देहात में,

रहे ध्यान एक सार बसा है , इस छोटी सी बात में

जिस राशि में वृक्ष कटे , लगाएं पौधे उसी अनुपात में।


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