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Kavita Yadav

Tragedy

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Kavita Yadav

Tragedy

पैसों के दम पे,बच्चों की शिक्षा

पैसों के दम पे,बच्चों की शिक्षा

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शिक्षा मैं पाऊं कहाँ से 

इतने पैसे लाऊं कहाँ से


माँ का दर्द और पिता का दर्द

दुनिया को दिखलाऊँ कहाँ से


पत्थर ढोके पिता के हाथ

हुए बहुत मजबूत...


माँ ने भी बर्तन मांज के 

कड़े किये अपने हाथ...


मेरी शिक्षा के लिए दोनों ने

पसीना अपना खूब बहाया...


उसके बाद भी स्कूल में

एडमिशन मैंने नहीं पाया....


आज शिक्षा का देखो तमाशा....

शिक्षीत ही शिक्षा के,आड़े आज है आया !


बिक रही है, हर जगह ये शिक्षा,

सरस्वती माँ का भी, मज़ाक बनाया...


तराजू में रख के पैसा

बच्चे का तो खिलवाड़ बनाया....


वाह रे वाह ये मानव तू ने इंसान को

शिक्षा के लिए, पैसे को ही 

महत्वपूर्ण बनाया...


जय हिंद जय भारत...



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