पत्र जो लिखा मगर भेज नहीं
पत्र जो लिखा मगर भेज नहीं


पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं
सोचा बहुत पर तेरा नहीं
आने का कह कर शाम रह गयी
एक नन्ही से चिड़िया ना जाने कहा खो गयी।
इंतजार माँ का वो करती रही
रास्ता भटक कर अकेली ही सो गई।
अपना घोंसला बना कर
राह नज़रों पे खो गयी
पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।
इंतजार में वो बस सहमी सी रह गयी।
रास्ते पर नजर थी, उड़ती सी दिख गयी
नजर में आँसुओं की कई धारा सी बह गई।
माँ ने गले लगाया और ये धीरे से कह दी।
पत्र तो लिखा मगर भेजा नहीं ....
नन्ही सी चिड़िया मुझे ऐसे ही मिल गई।