STORYMIRROR

Kavita Yadav

Abstract

4  

Kavita Yadav

Abstract

क्या लिखेगी एक नदी

क्या लिखेगी एक नदी

1 min
370

जरा सोचो

अगर कभी

लिखना हो तो

क्या लिखेगी

एक नदी

अपनी आत्मकथा में।


दर्ज करेगी

जंगलों-पर्वतों से

अपने संवाद

पक्षियों की चहचहाहटें

दो तटों के बीच

चुपचाप बहने

और समुद्र में

समा जाने की यात्रा।


चट्टानों को तोड़ने का

संघर्ष तो उसमें होगा ही

मिट्टी को उपजाऊ

बनाने का श्रेय भी

वो लेना चाहेगी

क्या पता किसी कालखंड

को रचने या

सभ्यताओं को सींचने की

अहमन्यता भी दिखाए।


उफनती धाराओं से

गाँवों को उजाड़ना सही ठहराए

अपने सौंदर्य पर इतराए

और सागर को भी

अपना विस्तार बताए।


संभावना ये भी है कि

नदी का व्यक्तित्व भरा हो

संवेदनाओं से लबालब

और लहरें गिनने के बजाय

वो माँझी के दर्द भरे गीत गुनगुनाए

प्रेमी-प्रेमिकाओं के

खंडित सपनों के

प्रतिबिंब उसमें नजर आएँ


दे वो तारीखवार ब्यौरे

आरपार होने वालों के

सुखों के, और दुखों के

कुढ़े वो डुबकियाँ लगाके

पाप धोने वालों पर

किसी खास प्रसंग पर

उसकी आँखें भी भर-भर आएँ


ये भी मुमकिन है कि इस तरह

मूक गवाही देना

उसे रास न आए

आत्मकथा लिखना छोड़

वो भूपेन दा को संदेशा भिजवाए

और बहने से साफ मुकर जाए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract