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Kavita Yadav

Others

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Kavita Yadav

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आज का समय! कुछ बदला सा है

आज का समय! कुछ बदला सा है

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हँस दिया उसने, कुछ इस तरह से।

लगा मुझे, मेरे दर्द को समझ गया।


लगा के बात दिल से, उसकी।

पर आज हर इंसान, बदल सा गया है।


समय की मांग और काम की ज्यादती

हर कोई आजकल उसमें फँस गया है।


ना रही अब पहले सी सोच....

की दो वक्त ग़म को भूल जाए।


अपनी चौखट पर बैठकर

अपने लोगो से कुछ, बात कर जाए


कम्प्यूटर और मोबाइल ने कितने!

रिश्तों को सबसे दूर कर दिया है।


आज समय ने प्रत्येक में कई

बदलाव लाके,अलग कर दिया।



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