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अनजान रसिक

Action Classics Inspirational

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अनजान रसिक

Action Classics Inspirational

पैसे का मायाजाल

पैसे का मायाजाल

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पैसा पैसा ? कैसा ये पैसा ?

इसके मोहपाश में, इसके मायाजाल में हर कोई है फँसा हुआ.

इज़्ज़त की सुरक्षा कम, पैसे की करता आदमी ज़्यादा,

आफत बन गया सब के लिए, दुश्मनी का स्त्रोत,

ऐसे पैसे का आखिर क्या फायदा ?


सोने से पहले तिजोरी पे लगाना है ताला,

इसी व्यथा में इसी तकलीफ में व्यर्थ हुआ जीवन ये सारा.

तकिये के नीचे चाबी छुपा दी,

बेकार का झंझट मोल ले के अपनी सुखद निद्रा बर्बाद कर दी.

आवागमन की चिंता हर वक़्त सर पर मंडराती है,


घर अकेला छोड़ा तो कहीं चोरी ना हो जाये, ये शंका लगी रहती है

सुख के स्त्रोत से ज़्यादा कष्टों की वजह बन गया,

ये पैसा, ये रुपया तो भाई - भाई को दुश्मन बना गया.

कमाने के लिए चंद पैसे ज़िन्दगी जीने के लिए,

जिंदगी को ही भागदौड़ में गँवा दिया, ना जाने क्या पाने के लिए.


प्रॉपर्टी- जयदाद के झगड़ों ने घर को महाभारत कर केंद्र बना दिया,

इस पैसे और धन - दौलत ने जीवन की सुख -शान्ति को भंग कर दिया.

जो इतराते हैं आलीशान बंगलों पे अपने, उनको झोपड़ी की निफ्राम नींद से वंचित कर दिया,

क्या बताएं लफ़्ज़ों में दुनिया को कि इसके लोभ में उसने क्या- क्या नहीं गँवा दिया...


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