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SONU MEENA

Tragedy

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SONU MEENA

Tragedy

पैरों के छाले

पैरों के छाले

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प्रेम गीत में कैसे लिख दूं ?

छाए बादल काले हों,

प्रसव पीड़ा हो सड़कों पर

जब पैरों छाले हों!

जब सड़कों पर मजदूरों की

लाशों का सैलाब बहे,

खून बहे मजदूरों का

भारत माता का आब बहे ,

जब नेहरू चाचा के बच्चे

भूखे नंगे पैर चलें,

राज्यसभा को खबर नहीं हो

दिल्ली में सब खैर चले,

तब जाकर में प्रशासन के

धब्बे काले लिखता हूं,

मैं कुंठित मजदूरों के

पैरों के छाले लिखता हूं।।

नन्हे मुन्ने बच्चों की

मुट्ठी में भूखी रेखा है,

राष्ट्रपिता के बच्चों को ही

भूखे मरते देखा है,

जब भी भूखी माताओं का

दूध सूखने लगता है,

काल देवता जब शिशुओं पर

शंख फूंकने लगता है,

तब जाकर प्रशासन को

राणा के "भाले" लिखता हूं,

मैं कुंठित मजदूरों के

पैरों के छाले लिखता हूं।।




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