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parag mehta

Romance

5.0  

parag mehta

Romance

पैमाने

पैमाने

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तो फिर वो कौनसे पैमाने हैं

आखिर यहाँ !


चाहे भी खरा जिन पर

उतर नहीं पाता हूँ मैं !


सब कुछ जीत कर भी मैं

हार जाता फिर वहाँ !


एहसास उसे मेरे इश्क़ का

ठीक से नहीं करा पाता हूँ मैं !


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