STORYMIRROR

Govardhan Lal

Tragedy

3  

Govardhan Lal

Tragedy

पानी का छौंक

पानी का छौंक

1 min
12.4K

पानी का छौंक

आज फिर मैंने पानी का छौंक लगाया है

कमबख्त इस स्टील की डब्बी में भी

चार बूंद ही निकली है

प्लास्टीक की डब्बी में से भी

जमी हुई मिर्ची कुरेदकर डाली है

फिर छींक कैसे आ गई।।

जबकि आज फिर मैंने

पानी का छौंक लगाया है। 


दाल पानी की, हल्दी और मसाला भी पानी का

हां लेकिन नमक तो है सोसाईटी का

शायद इसलिए ही छींक आ गई,


वाह क्या स्वाद है

पानी की दाल में

थाली में तैरती रोटी में

क्यों, न हो आखिर

मैंने पानी का छौंक लगाया है


बेटा बोला मां,

यह तेल बढ़ता क्यों नहीं पानी से

जैसे दूध बढ़ जाता हैं पानी से

मां बोली

क्योंकि तेल से मैं छौंक लगाती हूं

और पानी की दाल बनाती हूं

तेल अगर बढ़ जाएगा

पानी का मोल भी चढ़ जाएगा


आज फिर मैंने पानी का छौंक लगाया है

मेरी आँखो में पता नहीं क्यों पानी आया है

मेरे लिए किसी ने तो पानी बनाया है

लेकिन न जाने कब उसकी

आंखे पानी पानी होगी

और मैं पानी से पहले तेल डाल दूंगी

हां दाल की दाल बना लूंगी।। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy