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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Classics Inspirational

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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Classics Inspirational

पांच साल पछताओगे।

पांच साल पछताओगे।

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 जो चोर थे वो भी पाठ आज,साहूकारी का पढाते हैं

जिनकी रग-रग में बेईमानी है, हमें ईमानदारी सिखाते हैं।

दया की बात करते हैं वो, जिनके नाखून खून से रंगे हुए। 

आज नंगे पांव चलें पैदल, जो कल कोठियों ऊपर चढ़े हुए।


दिन में चादर बांटते हैं, जो रातोंमें कपडे तार-तार कर देते थे

कितने मधुर वचन बोलें, जिनके बोल खार-खार कर देते थे।

गरीबों से प्यार मजलूमों से दुलार, यह तो सिर्फ दिखावा है

काले स्याह हैं ये अन्दर से, इनका सिर्फ सफेद पहनावा है।।


अब स्वार्थ है न, इसी लिये पैदल भी चलकर आऐंगे

जो नजरें नहीं मिलाते थे, वो गले से तुम्हें लगााऐंगे।

सब कुछ कर देने की, आज कसम ये खाएंगे

चन्द दिनों की बात है, फिर नजर नहीं ये आऐंगे।


आज मौका है,मत चूको, खुद को समझो खुद को जानों

यह भारत है बस तुमसे है, असली-नकली को पहचानों।

आज अपने अधिकारों से तुम, अपना ही उद्धार करो

चूको मत, आज हथोडे से, गर्म लोहा है, तुम वार करो।


तुम वार करो, प्रहार करो, यदि अब भी देर लगाओगे

एक मिनिट की गलती से, तुम पाँच साल पछताओगे।

पछताओगे, पछताओगे, पछताते ही रह जाओगे

"उल्लास” चुना यदि अपराधी, कैसे उस को सह पाओगे। 


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