पालघर कांड
पालघर कांड
क़बातलक चुपचाप सब बैठे रहोगे हाथ पर यूँ हाथ धर तकते रहोगे
खींच लेगा हाथ दुश्मन का तुम्हें बंद कर किवाड़ यूँ झकतें रहोगे
सूख जाएगी जवानी ज़िस्म सब तेरी औ ख़ून से अपनी ज़मीं रंगतें रहोगे
लड़ते रहोगे साथ में इस तरह तो हर समय किसी और से पिटतें रहोगे
गर सभी निकलें नहीं तुम आज घर से कल सभी घर छोड़कर भगतें रहोगे ।।