पाजेब
पाजेब


मैंने अपने मोहब्बत कि पहली निशानी,
उसे तोहफ़े में एक पाजिब दी थी, कल
तोड़कर फेंक दी उसने मेरी तोहफ़े में
दी हुई पाजेब..
बोली अगर खनकेगी तो तेरी बहुत याद
आएगी
मेरी पहली यार थी,
मेरे दिल कि तार थी,
उसके पैरों कि पाजेब, मेरा संसार थी
उसने लौटा दिया, हँस के मेरी दी हुई
पाजेब
ये बोल कर कि खनकेगी तो तेरी याद
बहुत आएगी
मैने तो सोचा था कि जब वो कभी,
थक हार के बैठेगी तन्हाई में,
खामोशी भरे आलम के साथ
तो मेरी दी हुई पाजेब कि खनक
उसके चेहरे कि मुस्कान बनेगी !