पा लिया मैंने
पा लिया मैंने
हर बार, बार-बार
चुप रहकर
तन्हा होकर
खुद से कह दिया मैंने
कभी बंद आँखों से
कभी खुली आँखों से
चुपचाप अकेले में
यूँ ही मुस्कुरा दिया मैंने
तुम तो जान भी ना पाये
पकड़ भी ना सके
ना पाकर भी
तुम्हें तो पा लिया मैंने।
हर बार, बार-बार
चुप रहकर
तन्हा होकर
खुद से कह दिया मैंने
कभी बंद आँखों से
कभी खुली आँखों से
चुपचाप अकेले में
यूँ ही मुस्कुरा दिया मैंने
तुम तो जान भी ना पाये
पकड़ भी ना सके
ना पाकर भी
तुम्हें तो पा लिया मैंने।