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Shailaja Bhattad

Abstract

4  

Shailaja Bhattad

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ऑक्सीजन

ऑक्सीजन

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सांसे हैं तब तलक ।

ऑक्सीजन है जब तलक।

सबको पता है।

ऑक्सीजन है तब तलक।


पेड़ है जब तलक।

शायद कुछ ही को पता है।

 पेड़ है तब तलक।

 इंसान लगाएं जब तलक।


 शायद किसी को नहीं पता है।

 इसीलिए तो आज

 कंक्रीट का जंगल बन पड़ा है


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