ओ,मेरे मन।
ओ,मेरे मन।
ओ मेरे मन , ओ मेरे मन
मेरे संग संग चलाकर कभी तू।
दूर निकल जाता जब मुझसे मैे घबरा जाता हूं।
सच कहता हूं तेरे बिना नहीं चैन से रह पाता हूं।।
याद सताए लौट के आजा भुला दे अब अनबन ।।.....
सचमुच तेरे जिद के आगे मैं बेबस हो जाता हूं।
लाख चाहकर भी मैं तुझे कुछ कह नहीं पाता हूं।।
छोड़ दे जिद अब पास में आजा मैं हो रहा अनमन।।.....
भले भुला दे मुझको पर मैं तुझको भूल नहीं पाता हूं।
तेरी छवि अंतरतर में लिए रात को सो जाता हूं।।
भोर भए पर तुम्हें खोजता कर कर लाख जतन।।.....
हे मन ! मेरे बावले इतना क्यों मुझको तड़पाता है।
तू आज़ाद बनकर घूमे मुझे तनिक नहीं भाता है।।
आ मेरे संग कुछ बातें कर ले बिता ले कुछ कुछ छन।।......