STORYMIRROR

Shakun Agarwal

Drama

2  

Shakun Agarwal

Drama

नव भोर

नव भोर

1 min
313

बीत गई अब रात, हुआ दिनमान लिए नव भोर सुहानी

देख खिले अरविंद सरोवर, गावत कोयल गान दिवानी।


जो अब नाहिं उठे पछतावत, बात यही बस आज बखानी

हाथ रहे मलता वह तो, अरु हाथ कभी कछु देख न आनी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama