"साथ अजनबी का"
"साथ अजनबी का"
साथ अजनबी का
सफ़र अनजाना,
चलेंगे साथ साथ
दिल ने है ठाना।
ये दिल का रिश्ता भी
होता है अजीब,
जिससे था न कभी वास्ता
वही अब दिल के है करीब।
धीरे धीरे अब वो
रूह में समाने लगा,
बन कर नशा
आँखों में है छाने लगा।
अनजानी राहों में भी
ढूंढ लेंगे मंजिल को,
साथ अजनबी का भी
अब भाने लगा है दिल को।