STORYMIRROR

Nilofar Farooqui Tauseef

Romance

5.0  

Nilofar Farooqui Tauseef

Romance

नशा

नशा

1 min
274


तुमने जो ज़माने को दीवाना बना रखा है

क्या अपने आँखों को तुमने मयखाना बना रखा है


क़त्ल करके निगाहें, फिर पूछती हैं हाल

क्या तुमने इन आँखों को पैमाना बना रखा है


नशा जो तुझ में है, वो अब और कहाँ है साहेब,

आँखों में इस मरीज़ का दवाखाना बना रखा है


 लबों से जो छलकती है जाम की प्याली

 इस छलकते जाम ने, शराब खाना बना रखा है।


ये इश्क़ का नशा अब क्या उतरेगा नीलोफ़र

मयकशी ने हर जगह मयखाना बना रखा है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance