नोंक-झोंक
नोंक-झोंक
मैं मना करती हूं लेकिन
तुम पास आते क्यों नहीं हो
हां मैं रूठती हूं तो
तुम मनाते क्यों नहीं हो
अगर मैं तुम्हें दूर जाने को कहूं
तो और पास आया करो
मैं बिन बात के रुठूं तो क्या
तुम मुझे सिर्फ मनाया करो
अरे भूल गए क्या इन्हीं नखरो
की वजह से तुमने प्यार किया था
बहुत से लोग थे पर मैंने
सिर्फ तुम्हें दिल दिया था
तो अब बदलना जरूरी क्यों है
हम पास तो बहुत है फिर भी
हमारे बीच यह दूरी क्यों है
अगर मेरे अंदर बचपना है
तो तुम समझदारी दिखाया करो
मैं भले ही दूर चली जाऊं पर
तुम और पास आया करो
एक कदम तुम चलो और
एक कदम मैं भी चलूंगी
तुम चुपचाप सुन लिया करो
मैं तो बहुत कुछ कहूंगी
प्यार तो अब भी मासूम हैं
मैं शरारती हूं इस रिश्ते में
नोंक-झोंक चलती रहती है
हमारे प्यार के किस्से में।