नन्हीं गौरैया लौट आएगी" !
नन्हीं गौरैया लौट आएगी" !
वो नन्ही -सी ,
कुदकती -फुदकती
शोर- सी मचाती , गौरैया
अब बहुत कम दिखने लगी है आजकल !
हां! वही गौरेया जो अपनी चहचहाहट से सुबह सुबह ही हमें जगा देती थी ,
हमारे घरों में ही वो खुद का घर बना लेती थी ।
वही आजकल नहीं दिख रही है !
अब हम देखना भी कहां चाहते हैं खुद के सिवाय दूसरे किसी प्राणी को !
अब हम इंसान जो ठहरे ,
तो इसलिए पृथ्वी पर जीने का हक तो सिर्फ हमारा ही है !
आखिर इस दंभ के बदौलत कब तक हम दूसरे प्राणी के जीवन के अधिकार को छीनते रहेंगे ?
वह नन्हीं चिड़िया फिर से लौट आएगी ,
पर हम इंसान देखना चाहें तब ना उस नन्हीं गौरैया की चहचहाहट को ?
उसके लिए हमें थोड़ा- सा दाना ,
थोड़ी -सी पानी,
और थोड़ी -सी जगह बचानी होगी अपने हिस्से की ।
तब निश्चित ही नन्ही गौरैया लौट आएगी ।