नमन
नमन
धरा शिरोमणि मातृभूमि शत-शत तुझे करते नमन हैं ।
मन हमारा, तन हमारा बस यही प्यारा वतन है ।।
कारगिल की पुण्य धरा पर चरण दुष्ट अरि के पड़े थे
माना शस्त्रों से सुसज्जित, पर क्या दिल उनके बड़े थे ?
तेरे भी जांबाज बेटे दीवार बन पथ पर अड़े थे
चाहे हिमावृत तुंग गिरिवर राह को रोके खड़े थे
दे नहीं सकते जमीं हम, माना कि नारा अमन है
मन हमारा, तन हमारा बस यही प्यारा वतन है ।।
अग्निस्नात यह प्रलय महोत्सव पार तो इसके जाना होगा
माँ सदृश पाला है जिसने धरा का कर्ज चुकाना होगा
भारत माँ के मानव वीरों ! घर-घर अलख जगाना होगा
शहीदों की संतानों को हमें आगे बढ़ अपनाना होगा
मुरझायें ना ये नव पल्लव इनसे शोभित यह गुलशन है
मन हमारा, तन हमारा बस यही प्यारा वतन है ।।
बँट नहीं सकते हम भारतीय हिंदु-मुस्लिम आधार पर
दोनों मिलकर शहीद हुए हैं माँ की एक पुकार पर
काँप उठे नक्षत्र-मंडल वीरों की हुंकार पर
त्याग दिये हैं प्राण सहस्रों माँ की एक ललकार पर
वर्ण, जाति, मतभेद रहित फूलों से सुरभित यह उपवन है
मन हमारा, तन हमारा बस यही प्यारा वतन है ।।